फिलिप ह्यूज: क्रिकेट के मैदान पर अदम्य योद्धा की अधूरी कहानी || Phillip Hughes| 63NOTOUT

फिलिप ह्यूज: क्रिकेट के मैदान पर अदम्य योद्धा की अधूरी कहानी | Phillip Hughes|63NOTOUT|

 

27 नवंबर 2014 को क्रिकेट के दुनिया का “BLACK DAY” बोला जाता हैं।

इस दिन क्रिकेट के दुनिया से एक चमकता हुआ सितारा अपने पैशन को फॉलो करते हुए एक दर्दनाक घटना का शिकार हो गया था। वह सितारा और कोई नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया क्रिकेटर “फिलिप ह्यूज” थेफिलिप ह्यूज का नाम क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर, जिनकी बल्लेबाजी शैली और आत्मविश्वास ने उन्हें एक चमकते सितारे के रूप में उभारा, उनका जीवन 27 नवंबर 2014 को एक दर्दनाक घटना के साथ समाप्त हो गया। यह घटना क्रिकेट इतिहास में एक “काला अध्याय” बन गई।

चमकता सितारा था, जो आसमां से टूट गया,
ख्वाबों का गुलशन था, जो पल में रूठ गया।
बैट से जो करता था हर दिल को रोशन,
आज वही नाम छोड़ गया दिलों में हलचल।

EARLY LIFE & CRICKETING DEBUT:

फिलिप ह्यूज का जन्म 30 नवंबर 1988 को ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स राज्य के मैक्सविले शहर में हुआ था। बचपन से ही उन्हें क्रिकेट से काभी गहरा लगाव था। ह्यूज ने अपने युवा अवस्था में ही अपने बल्लेबाजी कौशल से लोगो का ध्यान आकर्षित करना शुरू कर दिया था। बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने 19 साल की उम्र में न्यू साउथ वेल्स के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलना शुरू किया। 2009 में, 20 साल की उम्र में, उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ डरबन टेस्ट में दो शतक लगाकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में धमाकेदार एंट्री की। यह कारनामा उन्हें सबसे युवा बल्लेबाजों की सूची में शामिल कर गया, जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में लगातार दोनों पारियों में शतक लगाए हो।

BATTING STYLE & STATS :

फिलिप ह्यूज अपनी तकनीकी और साहसिक मजबूत बल्लेबाज के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने सीमित ओवरों और टेस्ट दोनों प्रारूपों में अपनी क्षमता साबित की। घरेलू क्रिकेट में उन्होंने न्यू साउथ वेल्स और साउथ ऑस्ट्रेलिया के लिए शानदार प्रदर्शन किया।ह्यूज ने कुल 26 टेस्ट मैचों में 32.65 की औसत से 1,535 रन बनाए, जिसमें 3 शतक और 7 अर्धशतक शामिल थे। वहीं, वनडे में उन्होंने 25 मैच खेले और 35.91 की औसत से 826 रन बनाए। उनकी ये उपलब्धियां बताती हैं कि वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में लंबी पारी खेलने के लिए तैयार थे।

DARKEST CHAPTER OF CRICKET HISTORY : 27 NOV 2014

25 नवंबर 2014 को सिडनी क्रिकेट ग्राउंड (SCG) पर न्यू साउथ वेल्स के खिलाफ शेफील्ड शील्ड मैच खेलते समय, फिलिप ह्यूज ने 63 रनों पर बल्लेबाजी करते हुए एक बाउंसर का सामना किया। यह गेंद शॉन एबॉट की ओर से फेंकी गई थी और दुर्भाग्यवश, ह्यूज की गर्दन के उस हिस्से पर लगी जहां हेलमेट से कोई सुरक्षा नहीं थी। गेंद लगते ही ह्यूज मैदान पर गिर गए। तुरंत ही उन्हें सिडनी के सेंट विंसेंट हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर रखा। उनके सिर पर सर्जरी भी की गई, लेकिन दो दिन तक कोमा में रहने के बाद 27 नवंबर 2014 को उन्होंने अंतिम सांस ली।

CRICKET WORLD MOURNS :

फिलिप ह्यूज की मृत्यु से पूरा क्रिकेट जगत शोक में डूब गया। उनकी मौत ने खिलाड़ियों की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड, साथी खिलाड़ी और फैंस के लिए यह एक अपूरणीय क्षति थी। उनके सम्मान में 408 नंबर (जो उनका टेस्ट कैप नंबर था) को विशेष मान्यता दी गई।  ह्यूज की अंतिम विदाई उनके गृहनगर मैक्सविले में आयोजित की गई, जिसमें ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान माइकल क्लार्क, डेविड वॉर्नर और शेन वॉटसन जैसे बड़े क्रिकेटरों ने भाग लिया। यह दिन क्रिकेट इतिहास के सबसे भावुक क्षणों में से एक बन गया।

#63NotOut : 

ह्यूज के सम्मान में, #63NotOut ट्रेंड सोशल मीडिया पर खूब चला, जो उनके अंतिम स्कोर को दर्शाता था। यह उनके अधूरे सपने और क्रिकेट में उनके योगदान की गहरी याद दिलाता है।

ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट बोर्ड ने फिलिप ह्यूज के सम्मान में जर्सी नंबर #63 को हमेशा के लिए रिटायर कर दिया है।

फिलिप ह्यूज की मृत्यु ने क्रिकेट में खिलाड़ियों की सुरक्षा को लेकर नए मानक स्थापित किए। उनके बाद, हेलमेट डिजाइन और सुरक्षा उपकरणों में सुधार किया गया। आईसीसी ने भी बाउंसर और खिलाड़ी की सुरक्षा के नियमों पर ध्यान दिया।

फिलिप ह्यूज की कहानी एक ऐसा अध्याय है जो प्रेरणा, संघर्ष और असमय क्षति के मिश्रण को दर्शाता है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि मैदान पर प्रदर्शन चाहे जितना भी बड़ा हो, जीवन की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। क्रिकेट के इस नायक को आज भी याद किया जाता है, और उनका योगदान हमेशा क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में जिंदा रहेगा। उनकी विरासत खेल जगत को आगे बढ़ने और खिलाड़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करती रहेगी।

 

तुम गए तो आसमां भी रोया होगा,
हर बल्ला तुम्हारे लिए झुका होगा।
तुम्हारी यादों का उजाला रहेगा,
हर दिल में तुम्हारा नाम सदा जलेगा।

फिलिप, तुम अमर हो, तुम्हारा खेल अमर है||

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top