Ponzi Scheme |गिल, तेवतिया, मोहित शर्मा, साईं सुदर्शन समेत बड़े क्रिकेटर हुए एक करोड़ रुपए के ठगी के शिकार | ‘एक का दो’ नाम से चल रही पोंजी स्कीम का क्रिकेटर्स भी शिकार बने हैं।

Ponzi Scheme |गिल, तेवतिया, मोहित शर्मा, साईं सुदर्शन समेत बड़े क्रिकेटर हुए एक करोड़ रुपए के ठगी के शिकार | ‘एक का दो’ नाम से चल रही पोंजी स्कीम का क्रिकेटर्स भी शिकार बने हैं।

सूरत में बीजेड फाइनेंस ग्रुप की ‘एक का दो’ नाम से चल रही पोंजी स्कीम का क्रिकेटर्स भी शिकार बने हैं। शुभमन गिल, राहुल तेवतिया, मोहित शर्मा और साईं सुंदर समेत पांच क्रिकेटर्स  से 10 लाख से एक करोड़ रु. तक की ठगी हुई। दरअसल, सीआईडी क्राइम घोटालेबाजों के यहां निवेश करने वालों का डेटा खंगाल रही है। इसमें अभिनेता सोनू सूद का भी नाम सामने आया है।हालांकि,  अभिनेता के नाम की एंट्री नहीं मिली है। सीआईडी के सूत्रों के मुताबिक, पांच क्रिकेटरों के निवेश की बात सामने आ रही है। हालांकि, सीआईडी क्राइम के मुखिया ने इसके ऊपर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं  की। स्कीम का मास्टरमाइंड भूपेन्द्र सिंह झाला है। उसने बीजेड फाइनेंस सहित एक दर्जन से अधिक कंपनियां बनाई थीं।

पोंजी योजना क्या है (Ponzi Scheme ):

पोंजी योजना एक प्रकार की धोखाधड़ी है, जिसमें निवेशकों को उनकी जमा की गई राशि पर असामान्य रूप से उच्च रिटर्न (लाभ) का वादा किया जाता है। यह योजना नए निवेशकों से प्राप्त धन का उपयोग पुराने निवेशकों को लाभ देने के लिए करती है, जिससे ऐसा लगता है कि निवेश लाभदायक है। पोंजी योजनायोजना का नामकरण चार्ल्स पोंजी के नाम पर किया गया है, जिन्होंने 1920 के दशक में इसे लोकप्रिय किया। पोंजी योजना आमतौर पर तब तक काम करती है, जब तक नए निवेशकों का धन पुराने निवेशकों को लाभ देने के लिए पर्याप्त रहता है। जब नए निवेशक मिलना बंद हो जाते हैं, तो यह योजना धराशायी हो जाती है, और अधिकांश निवेशकों को बड़ा नुकसान होता है।

उत्तर गुजरात में बेस, राजस्थान सहित देश भर में जाल 14 हजार लोग फंसे पोंजी योजना  :

मास्टरमाइंड भूपेन्द्र झाला ने उत्तर गुजरात में अपना बेस बनाया। राजस्थान सहित देश भर में लुभावनी स्कीम का जाल फैलाया। कम समय में ऊंचे ब्याज का झांसा दे पोंजी स्कीम शुरू की। करीब 14 हजार लोग झांसे में आकर निवेश कर बैठे। नवंबर में ब्याज भुगतान की तारीखें थीं। इससे पहले ही वह भूमिगत हो गया। आगामी दो-चार दिनों में निवेशकों को ब्याज भुगतान नहीं हुआ तो बड़े पैमाने पर पीड़ितों के सामने आने का अनुमान है। पुलिस को एक बेनामी अर्जी मिलने के बाद इस मामले में छानबीन शुरू हुई थी।

पोंजी स्कीम से ₹6 हजार करोड़ जुटाए :

भूपेन्द्र झाला 2016 से बीजेड फाइनेंस कंपनी चला रहा था। सीआईडी क्राइम-गांधीनगर केस दर्ज करके जांच कर रही है। अनुमान है कि विविध स्कीमों के माध्यम से लोगों से 6,000 करोड़ रु. जुटाए गए। इस तरह के झांसे दिए गए…. 5 लाख का निवेश करने पर 32 इंच की LED टीवी-मोबाइल गिफ्ट। 10 लाख के निवेशकर्ता को गोवा- मनाली की ट्रिप। एफडी और निवेश पर 7% ब्याज लिखित में और मौखिक रूप से 18% तक ब्याज का वादा। एजेंट्स को भी महंगे गिफ्ट (कार और फॉरेन टूर सहित) दी जा रही थी |

पोंजी योजनाएं कैसे काम करती हैं  :

1. शुरुआती निवेशकों को उनके निवेश पर वादा किए गए उच्च रिटर्न का भुगतान किया जाता है।

2. यह भुगतान नए निवेशकों से प्राप्त धन का उपयोग करके किया जाता है।

3. जैसे-जैसे निवेशकों की संख्या बढ़ती है, योजना को बनाए रखना मुश्किल हो जाता है।

4. जब नए निवेशक मिलना बंद हो जाते हैं, तो योजना खत्म हो जाती है, और अधिकांश निवेशक अपना धन गंवा बैठते हैं।

CONCLUSION :

पोंजी योजनाएं पहली नजर में आकर्षक लग सकती हैं, लेकिन ये धोखाधड़ी का एक माध्यम होती हैं। किसी भी निवेश योजना में निवेश करने से पहले उसके सभी पहलुओं को समझना और उसकी जांच करना जरूरी है। सतर्क रहें और स्मार्ट निवेश करें।

 

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